चिट्ठी आई है - दैनिक कविता प्रतियोगिता -31-Mar-2022
चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
प्रभु का संदेश संग में अपने लाई है।
पक्षी और बादल बने हैं संदेशवाहक
कहते मत झगड़ो आपस में यूँ नाहक।
प्रभु ने भेजा है प्रेम व एकता का संदेश
छोड़ आपसी वैमनस्य मिटाओ क्लेश।
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है
सीमा पर तैनात वीरों का संदेश लाई है।
रह अपनों से दूर करते देश की सेवा
घरवाले देखें बाट कठिन हो कलेवा।
पा जवानों की सलामती का संदेश
मिले परिजनों को सुकून, मिटे द्वेष।
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है
प्रकृति का संदेश संग अपने लाई है।
पर्वत कहता हार न मानो करो संघर्ष
तूफानों से टकराकर तुम्हें होगा हर्ष।
नदी कहे जीवन में आगे बढ़ते जाओ
आए कैसी भी रूकावट न घबराओ।
पेड़ देता संदेश बनो सदा परोपकारी
दे फल व छाया खोले बुद्धि हमारी।
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है
स्वच्छता का संदेश संग अपने लाई है।
मिटा कचरा स्वच्छ बनाएँ कोना-कोना
छाएगी हरियाली देश उगलेगा सोना।
रोगों से जनजीवन को मिलेगी निजात
देश के हर नागरिक का स्वस्थ रहे गात।
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है
हवा का संदेश संग अपने ले आई है।
न फैलाओ प्रदूषण होगा जीवन दूभर
कर मुझे अशुद्ध भुगतोगे जीवन भर।
यदि मानव जाति का करना है संरक्षण
पर्यावरण रक्षा हेतु करें हम आरक्षण।
संदेश देकर जाती ताजी बहती हवा
प्रसन्नचित्त कर हृदय की बनती दवा।
क्या कहे रंग-बिरंगे फूलों की सुगंध
समझाती विचारों से मिटाओ दुर्गंध।
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है
धरती का संदेश संग अपने लाई है।
बंजर धरती देती है हम सबको संदेश
अनुचित कार्य न कर कैसा हो आवेश।
शुष्क हैं हम तो फिर आएगी हरियाली
नई कोपलें चमकाएँगी डाली-डाली।
फल-फूल देते संदेश जियो निःस्वार्थ
सफल हो जाए मानव जीवन का अर्थ।
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है
मातृ संदेश संग अपने लेकर आई है।
बेटे रहना कहीं पाओगे मेरा आशीष
झुक न जाए अन्याय के समक्ष शीश।
ममता की छाँव मेरी करे तेरी सुरक्षा
भूल न कर्म कर बहन-बेटी की रक्षा।
कड़वे बोल के तीखे तीर ना चलाना
बोलने से पूर्व शब्दों को भी तौलना।
हर वस्तु में छिपा होता है एक संदेश
अमल करने से बनेगा सुंदर परिवेश।
डॉ. अर्पिता अग्रवाल
Nand Gopal Goyal
12-Jun-2022 12:29 PM
वाह 👌
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Shnaya
02-Apr-2022 02:15 AM
Very nice 👌
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Shrishti pandey
01-Apr-2022 09:36 PM
Nice
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